Tuesday, July 7, 2020

अर्जुन पुत्र अरावन से किन्नर करते हैं शादी, दक्षिण भारत में है मंदिर

Mahabharat In Hindi: दक्षिण भारत में अरावन नाम के देवता की विशेष पूजा की जाती है. अरावन देवता का संबंध महाभारत से है. किन्नर इनसे एक दिन के लिए शादी रचाते हैं. आइए जानते हैं इनके बारें में.


Mahabharat: अर्जुन पुत्र अरावन से किन्नर करते हैं शादी, दक्षिण भारत में है मंदिर

Mahabharat story: अरावन देवता का संबंध भारत के तमिलनाडु राज्य से है. यहां पर अरावन देवता की पूजा बड़ी ही श्रद्धाभाव से की जाती है. अरावन को इरावन देव के नाम से भी जाना जाता है. किन्नर अरावन को अपना देवता मानते हैं. जिस कारण किन्नरों को दक्षिण भारत में अरावनी कहा जाता है.


किन्नर एक दिन के लिए करते हैं विवाह
किन्नर अरावन देवता के साथ एक दिन के लिए विवाह भी रचाते हैं. विवाह करने के अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही किन्नरों का वैवाहिक जीवन समाप्त हो जाता है. इस कथा का संबंध महाभारत से माना जाता है.


अर्जुन के पुत्र हैं अरावन
एक पौराणिक कथा के अनुसार अरावन को अर्जुन का पुत्र माना गया है. एक बार अर्जुन ने द्रोपदी से शादी की एक शर्त का पालन नहीं किया. जिस कारण अर्जुन को इंद्रप्रस्थ से निष्कासित कर दिया गया और एक साल की तीर्थयात्रा जाने का आदेश दिया जाता है. इस यात्रा के दौरान अर्जुन उत्तर पूर्व भारत में जाते हैं.


जहां की उनकी मुलाक़ात एक विधवा नाग राजकुमारी उलूपी से होती है. अर्जुन इस कन्या से विवाह कर लेते हैं. विवाह के बाद उलूपी एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है. अरावन के जन्म के बाद अर्जुन पत्नी और पुत्र को छोड़कर आगे की यात्रा आरंभ करते हैं. युवा होने पर अरावन नागलोक छोड़कर अपने पिता अर्जुन के पास आते हैं. लेकिन तब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध चल रहा होता है इसलिए अर्जुन अरावन को युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देते हैं.


पांडवों को जीत के लिए देनी पड़ी बलि
युद्ध में जीत के लिए पांडवो को मां काली के चरणों में एक नर बलि देनी होती है जिसके लिए एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है. जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो अरावन खुद को अपनी इच्छा से अपनी बलि देने के लिए कहते हैं. लेकिन अरावन एक शर्त रखते हैं कि वे अविवाहित नहीं मरना चाहते हैं. इस शर्त के कारण एक नया संकट आ जाता है क्योकि कोई भी राजा एक दिन अपनी पुत्री का विवाह कैसे कर सकता है. कोई राजा इसके लिए तैयार नहीं होता है.


जब कोई रास्ता नहीं बचता है तो भगवान श्री कृष्ण स्वंय को मोहिनी रूप में बदलकर अरावन से शादी करते हैं. अगले दिन अरावन स्वंय अपने हाथो से अपना शीश माँ काली के चरणो में अर्पित करते हंै. अरावन की मृत्यु के बाद श्री कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक अरावन की मृत्यु का विलाप भी करती हैं.


कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर, जो स्त्री रूप में पुरुष माने जाते हैं, भी अरावन से एक रात की शादी रचाते हैं और उन्हें अपना आराध्य देव मानकर उपासना करते हैं. तमिलनाडु के कूवगम में अरावन का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में अरावन देवता के शीश की पूजा की जाती है. यहां पर हर वर्ष तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा को 18 दिनों तक एक उत्सव का भी आयोजन किया जाता है.


न्यूज स्त्रोत :- एबीपी न्यूज